
पटना. कोसी महासेतु के रूप में वाजपेयी ने बिहार को ऐसी सौगात दी, जिसने राज्य के दो हिस्सों को लंबी प्रतीक्षा के बाद एक कर दिया।
अटल बिहारी वाजपेयी ही थे जिनके कारण दो हिस्से में बंटे मिथिलांचल को 78 वर्षों के बाद एक होने का अवसर मिला। यह पुल सुपौल और मधुबनी को जोड़ता था, लेकिन वस्तुत: यह उत्तर बिहार के नौ जिलों को जोड़ने वाला सेतु था।
वर्ष 1934 में भूकंप के कारण कोसी पर निर्मित पुल टूट गया। इसके कारण मिथिलांचल दो भागों में बंट गया। एक ओर दरभंगा और मधुबनी रह गए तो दूसरी ओर सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया और सीमांचल का इलाका था।
वाजपेयी ने वर्ष 2003 में इसका शिलान्यास किया। वर्ष 2012 में पुल बनकर तैयार हुआ और मिथिलावासियों का दशकों पुराना सपना पूरा हुआ।
आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार बिहारवासियों का खास सौगात दे रहे हैं। शुक्रवार को 516 करोड़ रुपये की लागत से बने कोसी रेल महासेतु का उद्घाटन करेंगे।
इसी के साथ कोसी और मिथिलांचल के लोगों का 86 साल पुराना सपना साकार हो जाएगा। कोसी नदी पर इस रेल पुल के बनने से सबसे ज्यादा फायदा दरभंगा, मधुबनी, सुपौल और सहरसा जिले में रहने वाले लोगों को होगा।